अध्याय ३

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राजमहल के प्रशिक्षण कक्ष में,

"कुमार "
" कहो "
" महाराज आपकी उपस्थिति चाहते हैं ।"
"...ठीक है ", आयुध ने म्यान में तलवार डालते हुए कहा । "तुम जा सकते हो ।"

महाराज के कक्ष में,

"प्रणाम महाराज ।"
"आओ,अंदर आओ।"
आयुध ने प्रवेश कर महाराज के चरण स्पर्श किए ।
"आयुष्मानभव"

महाराज ने आयुध को आमंत्रण पत्र दिया और कहा," अञ्जी से दूत, दशहरा के समारोह व प्रतियोगिता का आमंत्रण लाया है । अपेक्षा के अनुसार ही इस वर्ष तुम्हारा भी चयन किया गया है । इसी अवसर पर तुम अञ्जी के राजकुमार व राजकुमारी से भेंट भी कर पाओगे। मुझे आशा है कि प्रतियोगिता में विजयी होकर राजकुमार सभी के समक्ष लगध के लिए एक विशेष स्थान अर्जित कर पाऍंगे । "

'' अवश्य महाराज "

" हम दो दिवस बाद ही अञ्जी के लिए प्रस्थान करेंगे । समारोह व प्रतियोगिता के लिए योद्धा की पोशाक का चयन हमने स्वयं किया है । आशा है कि वे आपको पसंद आएँगी ।

"धन्यवाद महाराज ।"
...

आयुध, लगध का पहला राजकुमार, सम्राट वंश का ज्येष्ठ पुत्र है । सम्राट वंश अपने युवा दिवसों से ही एक पराक्रमी राजा माने जाते थे। उस समय, लगध की पूर्व दिशा में स्थित 'शाश्वती' नगरी के राजा नर्मत की एकमात्र संतान राजकुमारी वत्सला से सम्राट का विवाह हुआ था ।

राजकुमारी वत्सला अति सुन्दर, गुणवती स्त्री थीं । वे अत्यंत दयालु एवं करुण स्वभाव की थीं। उनकी पहली संतान - राजकुमार आयुध के जन्म के पश्चात ही उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा।

राजकुमार आयुध को माँ से अत्यंत लगाव था।

राजकुमारी उन्हें वाटिका ले जातीं और उन्हें विविध प्रकार के वृक्षों, पुष्पों, और प्राणियों की कहानीयाँ सुनाया करती थीं । माँ के मुख से देव-दानव, गंधर्वों, अश्विनी कुमारों की कथाएँ सुनकर नन्हें राजकुमार को बड़ा आनंद आता था । परंतु राजकुमारी के स्वास्थ्य के कारण उन्हें राजकुमारी के निकट अधिक समय रहने की अनुमति न थी । प्रतिदिन नन्हा आयुध उत्सुकता से माँ से भेंट की प्रतीक्षा करता और अनुमति मिलने पर माँ के निकट बैठकर कथाएँ सुनता और बात बात पर प्रश्न करता जिस पर माँ मुस्कुराकर उत्तर देती ।

शाश्वतम् प्रेमम्(Eternal love)Wo Geschichten leben. Entdecke jetzt