पूर्व पूर्णिमा के चंद्र के प्रकाश से वृक्षों का शीर्ष भाग उज्ज्वल था । उनकी आकृति उसी प्रकाश में धुली हुई लगती थी । पथ पर लंबी घास की पत्तियाँ बिछी हुई थीं । विशाल शिलाएँ, जिन पर दूर्वा उगी हुई थी, पर्वत का आभास कराती थीं ।
घने वृक्षों व पशु-पक्षियों से सुरचित यह वन रहस्यों का निवास है ।
स्वामी द्वारा निर्देशित वह श्वेत अश्व शांत गुल्मों में मार्ग में जन्मी वनस्पति को कुचलता स्वयं की गति का प्रदशन कर रहा था जिसके खुरों की ध्वनि अत्यंत स्पष्ट थी ।
अश्व को ठहराकर अश्वारोह ने भूमि पर पग रखा । उसने स्वयं ही इस यात्रा को पुनः आरंभ करने का निर्णय लिया । जन इसे निशाचरों के अतिरिक्त पिशाचों का निवास स्थान भी बतलाते हैं । किंतु अञ्जी के वीर पुत्र युवराज लव मनुष्यों के अतिरिक्त किसी अन्य से भय न लगता था ।
लव ने इस वन के विषय में अध्ययन कर रखा था ।
मन में एक ही विचार का चिंतन करते हुए उन्होंने आकाश की ओर देखा जहाँ यहाँ-वहाँ कुछ काली घटाएँ , तारे एवं चंद्र दिखते थे । भेड़ियों तथा अन्य वन्य पशुओं का कूजन् अत्यंत भयानक लगता मानो इसी क्षण एक पास की गुल्म से निकलकर अपना शिकार बना लेगा किंतु यह बालक अपने पग भी देखकर न रख रहा था ।
शेष बचे प्रेतात्मा! तो इस समय यदि एक कुमार लव के समक्ष आकर उपस्थित हो जाता तो राजपुत उस निष्प्राण जीव के शीर्ष पर खंजर आर-पार कर उतने ही आनंद से अग्रसर होते जितने आनंद से वे अभी भ्रमण कर रहे थे ।
प्रतियोगिता की चिंता न थी संभवतः थी भी किंतु इस प्रकार अन्य किसी को सूचित किए बिन यहाँ आने का आशय युवराज के व्यक्तिगत कार्य से संबंधित था ।
यदि उनके दिशा का अनुमान व मार्ग का चुनाव यथार्थ था तो वह छिपा हुआ भवन अधिक दूर न था ।
अश्व के दौड़ने की ध्वनि लव को वास्तविकता में खींच लाई।
"क्या प्रेतात्माएँ अश्वों पर पधारती हैं? "
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शाश्वतम् प्रेमम्(Eternal love)
Historical Fictionश्वास का मंद स्वर,केश इधर-उधर बिखरे हुए,उसके ओठों पर गहरा लाल रंग छाया हुआ,अर्धचंद्र की चांदनी में उसका मुख उन पारदर्शी नयनों से अलौकिक प्रतीत हो रहा था .... An Indian historical bl (युवालय) written in Hindi. Starts on - 31st March, 2023 {Friday}