अध्याय ४

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लव वातायान के पास बैठा नगर* के दृश्य को देख रहा था।

शांत ।

वाटिका में राजभवन का एक रक्षक पहरा कर रहा था । लव ने पुनः निद्रा में लीन नगरी को देखा । आकाश में छिटके तारों की भाँति गलियों और सड़कों पर दूर-दूर दीपों का प्रकाश छिटका हुआ था ।

केवल शांति। इतनी की वाटिका में भ्रमण कर रहे रक्षक के पग एवं उसके कवच से उत्पन्न होता मंद स्वर सुनाई पड़ रहा था ।

कक्ष में केवल एक दीपक जल रहा था । श्वास का मंद स्वर,केश इधर-उधर बिखरे हुए,उसके ओठों पर गहरा लाल रंग छाया हुआ,अर्धचंद्र की चांदनी में उसका मुख उन पारदर्शी नयनों से अलौकिक प्रतीत हो रहा था ।

एकाएक कक्ष के बाहर किसी के पग का स्वर सुनाई पड़ा ।

"कुमार"

चंद क्षण पश्चात द्वार खुला और किसी ने कक्ष में प्रवेश किया । अब भी लव को किसी की उपस्थिति का आभास न हुआ । "लव",मीरा ने लव के स्कंध हाथ रखते हुए कहा । लव हाथ झटककर दूर खड़ा हुआ किंतु मीरा को देखते ही वह शांत हो गया परंतु मीरा उसे देख सिहर गई । वह अपने स्थान पर स्थिर रह गई।

आभास होने पर अपनी मुद्रा को ठीक कर हाथ में लिया औषधि का पात्र लव के समक्ष रख दिया।

लव को आभास हो गया कि उसके इस रूप को देखकर ही मीरा भयभीत हो गई थी परंतु वह स्वयं इस विषय में कुछ नहीं कर सकता था । मीरा ने जैसे लव के विचारों को भाँप लिया हो उसने विषय बदलते हुए कहा,"मध्यरात्रि नगर की रक्षा कर रहे हैं क्या राजकुमार ।"

लव ने शीघ्र ही औषधी समाप्त कर पात्र एक ओर रखा और कहा," नहीं। ऐसी कोई बात नहीं ।"

लव मीरा का आशय और उसकी दुविधा दोनों ही भली-भाँति समझ रहा था । वह जानता था कि मीरा उसे इस विषय में प्रश्न कर संकोचित नहीं करना चाहती ।

"हाल ही में कुछ चिंताजनक घटनाएँ घटी हैं नगर में तो इसलिए मैंने सोंचा की संभवतः राजकुमार नगर की रक्षा कर रहे हैं।"

"कैसी घटनाएँ ?" उसने रुचि दिखाते हुए पूछा ।

मीरा ने लव के शयन पर आसन ग्रहण करते हुए कहा,"जिस दिवस तुम भ्रमण हेतु नगर गए थे उसके अगली सुबह किसी छः वर्षीय बालक के लापता होने की सूचना प्राप्त हुई तत्पश्चात कल प्रातः पुनः सूचना मिली की कोई पाँच से छह वर्ष का कोई अन्य बालक लापता है ।
निरीक्षण समिति स्थिति का निरीक्षण कर शीघ्र ही हल ढूंढ़ लेंगे । तुम्हें चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं। वैसे मुझे लगा कि तुम्हें यह सब ज्ञात होगा ।"

"मुझे इस विषय में कुछ ज्ञात नहीं था ।"

मीरा ने उठकर पात्र लिया,"हम्म,कोई बात नहीं। शीघ्र ही भोर होने वाली है। इस प्रकार पीठ घुमाकर मत खड़े रहो, जाओ विश्राम करो।"

उसने उबासी लेते हुए कहा,"शुभ रात्रि~"

"शुभ रात्रि..." लव ने आश्चर्य से कहा ।










*Note: Here the word 'नगर' refers to the capital i.e. 'अञ्जी' .
(Capital of the kingdom)

शाश्वतम् प्रेमम्(Eternal love)Where stories live. Discover now